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यहाँ भगवान शंकर को समर्पित रुद्राभिषेक पूजा के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जा रही है, जिसमें पूजा का महत्व, विधि, लाभ आदि सभी पहलुओं को सम्मिलित किया गया है।

रुद्राभिषेक पूजा: एक परिचय

रुद्राभिषेक पूजा भगवान शिव को समर्पित अत्यंत प्रभावशाली और पूज्यनीय धार्मिक अनुष्ठान है। ‘रुद्र’ भगवान शिव का उग्र रूप है और ‘अभिषेक’ का अर्थ होता है स्नान कराना या पवित्र जल/द्रव्यों से अभिषेक करना।
यह पूजा विशेष रूप से श्रावण मास, महाशिवरात्रि, सावन सोमवार, अथवा किसी विशेष शुभ मुहूर्त में की जाती है।


रुद्राभिषेक पूजा की विधि:

  1. स्थान व तैयारी:
    साफ-सुथरे और शांत वातावरण में शिवलिंग की स्थापना करें।

  2. शिवलिंग का अभिषेक:
    पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) से शिवलिंग का स्नान कराएं।
    इसके बाद गंगा जल, जल, शहद, दही, घी, चीनी, बेलपत्र, चंदन, फूल, भस्म, धतूरा आदि समर्पित करें।

  3. मंत्र जाप:
    सर्वाधिक महत्वपूर्ण है ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप।
    साथ ही, रुद्राष्टाध्यायी या रुद्रम् (श्री रुद्रम् चमकं पाठ) का पाठ करें।

  4. आरती और प्रार्थना:
    दीप जलाकर शिवजी की आरती करें और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें ।


रुद्राभिषेक का धार्मिक महत्व:


रुद्राभिषेक के लाभ:

  1. सभी प्रकार की बाधाओं और कष्टों का निवारण होता है।

  2. आर्थिक समृद्धि, व्यवसाय में वृद्धि और नौकरी में उन्नति प्राप्त होती है।

  3. वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है।

  4. दुष्ट ग्रहों और कालसर्प दोष जैसी समस्याओं से राहत मिलती है 

  5. मानसिक शांति, चिंता से मुक्ति और आत्मिक बल मिलता है।

  6. परिवार में एकता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  7. बीमारियों और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों में लाभ होता है।


विशेष बातें:


पौराणिक संदर्भ:


यदि आप ऑनलाइन रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं:

आज के डिजिटल युग में आप www.pujahelp.com जैसी वेबसाइट के माध्यम से अपने घर बैठे भी पंडितों के माध्यम से रुद्राभिषेक करा सकते हैंI